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इसके अलावा इस पोस्ट में धारा 370 को हटाने की तारीख आदि की जानकारी भी दी गयी हैं। तो आइये आज की इस पोस्ट की शुरुवात करते हैं।
धारा 370 क्या हैं ? धारा 370 का इतिहास क्या हैं इसे कब लागू किया गया। Dhara 370 Kya Hai in Hindi
भारतीय संविधान के अनुच्छेद/धारा 370 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य को कुछ विशेषाधिकर दिये गये थे। इसे समझने के लिए इसके इतिहास की जानकारी जरूर होनी चाहिए। आइये जम्मू-कश्मीर राज्य से संबंधित धारा 370 के इतिहास के बारे में जानते हैं।
भारत देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुया था लेकिन आजादी से एक दिन पहले ही भारत से विभाजित होकर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के रूप में एक नया देश बना।
उस समय जम्मू और कश्मीर रियासत के राजा हरी सिंह थे। वें अपने राज्य को न तो भारत में मिलाना चाहते थे और न ही पाकिस्तान में। वें जम्मू और कश्मीर को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करना चाहते थे। इस कारण उन्होने अपने राज्य को न तो पाकिस्तान मिलाया और न ही भारत में।
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लेकिन पाकिस्तान ने 20 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर पर कब्जा करने के इरादे से आक्रमण किया। इस दौरान उसने कश्मीर पर कब्जा कर लिया। अब यह स्थिति राजा हरी सिंह के लिए चुनौती भरी थी।
इस कारण 26 अक्टूबर 1947 को राजा हरी सिंह ने भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल, लॉर्ड माउंटबेटन के साथ मिलकर एक दस्तावेज जिसका नाम "Instrument of Accession (Jammu and Kashmir)" पर हस्ताक्षर किये और जम्मू - कश्मीर को कुछ नियमों और शर्तों के तहत भारत में मिलाने के लिये सहमति प्रगट की।
अब जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा संबंधी ज़िम्मेदारी भारत सरकार की थी जबकि बाकी शासन व्यवस्था राजा हरी सिंह के हाथों में ही थी।
फिर जम्मू और कश्मीर राज्य को कुछ विशेषाधिकार देने के लिये 17 नवम्बर 1952 को धारा 370 लागू की गयी और इस अनुच्छेद को भारतीय संविधान में जोड़ा गया। इस धारा को लागू करने का केवल एक मकसद था कि,जम्मू और कश्मीर दूसरे राज्यों से किस प्रकार अलग होकर एक विशेष राज्य कहलाता है,इसको स्पष्ट करना।
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जब धारा 370 को लागू किया गया तो भारत के राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।
इस धारा/अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया तथा इस अनुच्छेद के तहत इस राज्य को निम्न विशेषाधिकार दिये गये जैसे -
- जम्मू - कश्मीर राज्य का नाम,क्षेत्रफल और सीमा को बदलने के लिये केंद्रसरकार को राज्य सरकार से अनुमति लेना आवश्यक हैं।
- जम्मू - कश्मीर का खुद का संविधान है,भारतीय संविधान इस पर लागू नहीं हैं। इस राज्य के दो झंडे हैं।
- राज्य के केवल रक्षा,विदेशी और संचार संबंधित मामलों में ही केंद्रसरकार फैसले ले सकती हैं। इसके अलावा बाकी सभी मामलों में फैसले लेने का अधिकार केवल राज्य सरकार को ही हैं,इसमें केंद्रसरकार किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं।
- भारत मे आर्थिक आपातकाल घोषित होने पर भी जम्मू और कश्मीर में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
- संविधान संशोधन का प्रभाव जम्मू एंव कश्मीर पर नहीं पड़ता जब तक राष्ट्रपति की विशेष मंजूरी से इसे राज्य में लागू न किया जा सके।
- युद्ध और बाहरी आक्रमण के मामले में ही केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपातकाल लगा सकती है,लेकिन इसका प्रभाव जम्मू पर नहीं पड़ेगा,यदि राज्य सरकार चाहे तो इसे राज्य में लागू कर सकती हैं। लेकिन अंतिम निर्णय राज्य सरकार का होगा।
इस कारण भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये गये जिससे इस राज्य पर केंद्रसरकार और भारत के संविधान का न के बराबर प्रभाव रह गया था। इस राज्य को खुद का संविधान लागू करने की भी अनुमति प्रदान की गयी थी।
इस कारण बहुत से लोग इस धारा का विरोध करते थे की इस धारा को हटाया जाये जिससे पूरे देश में एक ही संविधान लागू हो सके। लेकिन जम्मू कश्मीर के लोगों द्वारा इस धारा का समर्थन किया जाता था।
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धारा 35A क्या हैं ? धारा 35a कब लागू की गयी। Dhara 370 And 35a Kya Hai
धारा 370 के बाद 1954 में डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की मंजूरी के बाद आर्टिक्ल 370 से संबंधित एक नया आर्टिक्ल 35A लागू किया गया। संविधान में प्रेजिडेंशल ऑर्डर से सन 1954 में 35a को जोड़ा गया था। सबसे रोचक बात यह हैं कि,आर्टिक्ल 35a संसद से कभी पास ही नहीं हुया ।
धारा 35A जम्मू कश्मीर राज्य को अधिकार प्रदान करती हैं कि वह अपने राज्य के अस्थायी और स्थायी नागरिकों के अधिकारों और विशेषाधिकार को निश्चित कर सकती हैं। धारा 35a के तहत -
- जम्मू-कश्मीर राज्य में बाहर के लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी
- इस राज्य में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
- अगर इस राज्य की कोई महिला राज्य के बाहर के किसी शख्श से शादी करती हैं तो उसे संपति का अधिकार नहीं मिलता हैं।
- केवल जम्मू-कश्मीर के अस्थायी लोगों को ही इस राज्य के अंदर संपति खरीद सकने और बेचने का अधिकार हैं। जम्मू - कश्मीर के नागरिकों के ही बच्चों को राज्य सरकार द्वारा छात्रवृति प्रदान की जायेगी।
इस कारण 17 नवम्बर 1952 को लागू की गयी धारा 370 तथा प्रेजिडेंशल ऑर्डर से सन 1954 में संविधान में जोड़ी गयी धारा 35a जम्मू-कश्मीर राज्य और नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करती थी। इन दोनों धाराओं के कारण ही केंद्रसरकार इस राज्य में अपने सभी फैसले लागू नहीं कर सकती थी,जिससे इस राज्य की राज्यसरकार ही खुद की मर्जी के अनुसार निर्णय लेती थी।
धारा 370 को हटाने की तारीख,धारा 370 को कब हटाया गया ?
भारतीय संविधान में से धारा 370 को हटाने को लेकर भारत की केंद्र सरकार के द्वारा सिफारिश करने पर राष्ट्रपति के द्वारा इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के बाद 5 अगस्त 2019 को इस अनुच्छेद को भारतीय संविधान से हटा किया गया हैं। अब केवल धारा 370 का खण्ड एक ही रखा गया हैं जिसके तहत भारत का राष्ट्रपति के द्वारा जम्मू और कश्मीर में कोई कानून लागू किया जा सकता हैं।
धारा 370 को हटाने की तारीख 5 अगस्त 2019 हैं। इस तारीख से धारा 370 को हटा दिया गया हैं जिसके साथ धारा 35a का अस्तित्व भी खत्म हो गया हैं। इस धारा को हटाते ही जम्मू और कश्मीर राज्य को जो विशेष राज्य का दर्जा और विशेषाधिकार प्राप्त थे वे सभी खत्म हो गये हैं। अब जम्मू और कश्मीर पर राज्यपाल के द्वारा केंद्रसरकार ही शासन व्यवस्था को संभालेगी।
Note - जम्मू और कश्मीर पहले एक राज्य था। लेकिन अब सरकार ने जम्मू और कश्मीर को 2 केंद्रशासित प्रदेशो में बाँट दिया है। अब 31 अक्टूबर,2019 से जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख को दो नए केंद्रशासित प्रदेशो के रूप में अस्तित्व में आये हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको "धारा 370 व धारा 35a क्या हैं ?" टॉपिक पर वांछित जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। यदि यह पोस्ट आपको पसंद आती हैं तो इसे सोश्ल मीडिया पर शेयर जरूर करे।
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