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विधेयक ( बिल ) क्या होता हैं ? विधेयक का अर्थ व परिभाषा व क्या होती हैं ?
विधेयक का मतलब समझने से पहले संसद का अर्थ समझना बहुत जरूरी है।
संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। इस वाक्य में 'विधायी' और 'निकाय' शब्द का अर्थ समझना बहुत जरूरी हो जाता है।
'विधायी' शब्द को इंग्लिश में Legislative कहा जाता है,इसका अर्थ होता है,'कानून बनाने की शक्ति होना'। 'निकाय' शब्द का अर्थ होता है 'एक व्यवस्था' या फिर एक 'ढाँचा'।
अब इन दोनों शब्दों का अर्थ जान लेने के बाद संसद को सरल शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है "भारतीय संसद एक ऐसी व्यवस्था है या ढाँचा है जिसके पास कानून बनाने की शक्ति होती है। संसद कानून बनाती है और उसे पूरे देश में लागू करती है।
अब विधेयक की परिभाषा क्या है ? इस टॉपिक को समझने से पहले और शब्दों के अर्थ जान लेना बहुत जरूरी है।
विधि - कानून
प्रस्ताव - किसी की सहमति या असहमति लेने के लिए किसी के सामने पेश की गयी बात या दस्तावेज । प्रस्ताव को इंग्लिश में Proposal भी कहते है।
विधेयक एक प्रस्ताव होता है जिसे विधि ( कानून ) का स्वरूप देना होता है। प्रत्येक विधेयक को कानून बनने से पहले संसद के दोनों सदनों क्रमश: लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद एक विधेयक कानून बन जाता है।
विधेयक को सरल शब्दों में इस प्रकार से भी परिभाषित किया जा सकता है -
'देश के संविधान में नये कानूनों का निर्माण करने के लिए या पुराने क़ानूनों में संशोधन करने के लिये संसद में पेश किया गया प्रस्ताव ही विधेयक होता है। विधेयक को इंग्लिश में 'Bill' कहा जाता है। यदि यह बिल/विधेयक संसद के दोनों सदनों में से बहुमत से पारित हो जाता है तो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाता है और इसे संविधान में अधिनियम के रूप में जोड़ लिया जाता है।"
लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार विधेयक की परिभाषा " विधेयक एक प्रारूप संविधि है जो संसद की दोनों सभाओं द्वारा पारित होने तथा राष्ट्रपति द्वारा सहमति दिए जाने के पश्चात् कानून बन जाता है। सभी विधायी प्रस्ताव विधेयक के रूप में संसद के समक्ष लाए जाते हैं।"
विधेयक को संसद में कौन पेश कर सकता है ?
विधेयक को संसद में कौन पेश करता है ? इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले संसद के सदस्यों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
सरकारी सदस्य - संसद के ऐसे सदस्य जो केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री होते है उनको सरकारी सदस्य कहा जाता है।
गैर-सरकारी सदस्य - संसद के ऐसे सदस्य जो केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं है या केंद्रीय मंत्रीमण्डल में मंत्री नहीं है,उनको गैर सरकारी सदस्य कहा जाता है।
विधेयक को संसद में सरकारी सदस्य और गैर सरकारी सदस्य दोनों ही पेश कर सकते है।
गैर सरकारी विधेयक किसे कहते है ?
जब संसद में किसी गैर-सरकारी सदस्य द्वारा विधेयक पेश किया जाता है तो इस प्रकार के विधेयक को गैर सरकारी विधेयक कहते है।
सरकारी विधेयक किसे कहते है ?
जब संसद सभा में किसी सरकारी सदस्य के द्वारा विधेयक पेश किया जाता है तो ऐसा विधेयक सरकारी विधेयक कहलाता है।
विधेयक कितने प्रकार के होते है ?
विधेयक संसद में किसके द्वारा पेश किया जाता है इसके आधार पर विधेयक 2 प्रकार के होते है।
1 - सरकारी विधेयक
2 - गैर सरकारी विधेयक
विधेयक किस विषय से संबंधित है इसके आधार पर भी विभाजित होते है। विषय सूची के अनुसार विधेयक 9 प्रकार के होते है ।
1 - नये प्रस्तावों, विचारों या नीतियों वाले मूल विधेयक
2 - विद्यमान अधिनियमों में परिवर्तन, संशोधन या परिशोधन करने वाले संशोधन विधेयक,
3 - किसी विषय विशेष के बारे में विद्यमान कानून/अधिनियमितियों को समेकित ( एकीकृत करने वाले/जोड़ने वाले ) करने वाले समेकन विधेयक,
4 - ऐसे अधिनियमों को, जिनकी अवधि, अन्यथा, किसी विनिर्दिष्ट तिथि को समाप्त हो जायेगी, जारी रखने वाले अवसानक विधि (निरंतरता) विधेयक,
5 - परिनियम पुस्तिका को सुस्पष्ट करने वाले निरसन और संशोधन विधेयक,
6 - कतिपय कार्यों को विधि मान्यता प्रदान करने वाले विधिमान्यकरण अधिनियम,
7 - अध्यादेशों को प्रतिस्थापित करने वाले विधेयक,
8 - धन और वित्तीय विधेयक
9 - संविधान संशोधन विधेयकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्रक्रिया के अनुसार विधेयक को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है -
1 - साधारण विधेयक
2 -धन विधेयक और वित्तीय विधेयक
3 - अध्यादेशों को प्रतिस्थापित करने वाले विधेयक और
4- संविधान संशोधन विधेयक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
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धन विधेयक किसे कहते है ? धन विधेयक दूसरे विधेयक से अलग कैसे होता है ?
यदि किसी विधेयक का विषय संविधान के अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उप-खंड (क) से (च) में विनिर्दिष्ट सभी या किन्हीं मामलों से संबंधित होता है तो उस विधेयक को धन विधेयक कहा जाता है।
कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो उस पर लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। इस निर्णय को न्यायालय या सदन या राष्ट्रपति अस्वीकार नहीं करता है। जब राष्ट्रपति के पास विधेयक को भेजा जाता है तब उस पर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा धन विधेयक लिखा होता है।
धन विधेयक को इंग्लिश में Money Bill कहा जाता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उपखंड (क) से (च) में निम्न सभी विषय और मामले आते है -
(क) किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन
(ख) भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने का या कोई प्रत्याभूति देने का विनियमन अथवा भारत सरकार द्वारा अपने पर ली गई या ली जाने वाली किन्हीं वित्तीय बाध्यताओं से संबंधित विधि का संशोधन
(ग) भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी किसी विधि में धन जमा करना या उसमें से धन निकालना
(घ) भारत की संचित निधि में से धन का विनियोग
(ङ) किसी व्यय को भारत की संचित निधि पर भारित व्यय घोषित करना या ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा
(च) भारत की संचित निधि या भारत के लोक लेखे मद्धे धन प्राप्त करना अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा
इस प्रकार यदि कोई विधेयक संविधान के अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उपखंड (क) से (च) तक में आने वाले विषय और मामलों से संबंधित है तो उसे धन विधेयक कहा जाता है।
वित्तीय विधेयक या वित्त विधेयक किसे कहते है ?
वित्त विधेयक - वित्त विधेयक अनुच्छेद 110 में उल्लेखित किसी भी विषय के साथ - साथ अन्य विषयों से भी संबंधित होते है। वित्त विधेयक में अनुच्छेद 110 के विषयों व मामलों के अलावा आने वाले वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय उपबंध भी शामिल होते हैं।
वित्तीय विधेयकों को 'क' और 'ख' श्रेणियों के वित्तीय विधेयक के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है। 'क' श्रेणी के विधेयकों में अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उप-खंड (क) से (च) में विनिर्दिष्ट किसी भी मामले से संबंधित उपबंध शामिल होते हैं और 'ख' श्रेणी के विधेयकों में भारत की संचित निधि से व्यय संबंधित मामले व विषय शामिल होते है। वित्त विधेयक को इंग्लिश में Finance Bill कहा जाता है।
'क' श्रेणी के वित्तीय विधेयक को राष्ट्रपति की सिफारिश पर सिर्फ लोक सभा में पुर:स्थापित/पेश किया जा सकता है। एक बार लोकसभा द्वारा इसके पारित हो जाने के पश्चात् यह साधारण विधेयक के जैसा हो जाता है और ऐसे विधेयकों के संबंध में राज्य सभा की शक्तियों पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। राज्यसभा चाहे तो इस विधेयक को स्वीकार भी कर सकती है और अस्वीकार भी।
'ख' श्रेणी के वित्तीय विधेयक और साधारण विधेयकों को संसद की किसी भी सभा में पुर:स्थापित/पेश किया जा सकता है।
सरल शब्दों में वित्त विधेयक,उस विधेयक को कहते हैं जो वित्तीय मामलों जैसे राजस्व या व्यय से संबंधित होते है। इसमें आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं ।
इन्हें पुनः तीन प्रकार से उप विभाजित किया जाता है -
- धन विधेयक-( इसकी परिभाषा अनुच्छेद 110)
- वित्त विधेयक(1)- अनुच्छेद 117 (1)
- वित्त विधेयक (2)-अनुच्छेद 117( 3 )
विधि-निर्माण की प्रक्रिया ( विधेयक अधिनियम कैसे बनता है,विधेयक संसद में पास कैसे होता है ? ) विधेयक कानून कैसे बनता है ?
किसी भी विधेयक को अधिनियम बनने से पूर्व संसद में कई प्रक्रमों से गुजरना पड़ता है। इन प्रक्रमों को वाचन कहते है। विधेयक के अधिनियम बनने से पहले तीन वाचन होते है।
पहला वाचन - इस वाचन में विधेयक को संसद के किसी भी सदन लोकसभा या राज्यसभा में किसी भी सरकारी या गैर सरकारी सदस्य द्वारा पेश किया जाता है। इसे विधेयक को पुरःस्थापित करना भी कहते है।
अब विधेयक को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया जाता है। उसके बाद विधेयक को उस सदन की स्थायी समिति को भेज दिया जाता है। स्थायी समिति उस विधेयक के सभी खंडों पर विचार करती है तथा अपनी सिफारिशों के साथ उस सदन की सभा में अपना प्रतिवेदन सौंपती है।
द्वितीय वाचन - द्वितीय वाचन के प्रथम प्रक्रम में सदन की सभा में विधेयक पर सामान्य चर्चा होती है व विधेयक के सिद्धान्तों पर चर्चा की जाती है। द्वितीय वाचन के दूसरे प्रक्रम में विधेयक पर खण्डवार विचार किया जाता है।
तृतीय वाचन - इस प्रक्रम में विधेयक को संसद के सदन में पारित या वापिस लौटा दिया जाता है। यदि सदन में उस विधेयक को बहुमत मिलता है तो उसे पास किया जाता है। संसद के एक सदन में बहुमत मिलने पर उसे संसद के दूसरे सदन में पारित होने के लिये भेजा जाता है।
यदि कोई विधेयक लोकसभा में पास हुया है तो उसे फिर राज्यसभा में बहुमत के लिये भेजा जाता है और यदि विधेयक राज्यसभा में पास हुया है तो उसे लोकसभा में भेजा जाता है।
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जब विधेयक संसद के दोनों सदनों से बहुमत प्राप्त करके पारित हो जाता है तो उसे राष्ट्रपति के समक्ष मंजूरी के लिये भेजा जाता है। राष्ट्रपति उस विधेयक पर हस्ताक्षर करके उसे मंजूरी देता है। इस प्रकार एक विधेयक को कानून के रूप में लागू करके अधिनियम माना जाता है।
इस प्रकार एक विधेयक या बिल संसद के द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन जाता है। अब इसे विधेयक या बिल नहीं कहा जाता है अब इसे Act ( कानून ) कहा जाता है।
कोई विधेयक संसद की दोनों सभाओं द्वारा पारित कर दिए जाने तथा राष्ट्रपति द्वारा सहमति दे दिए जाने के पश्चात् संसद का अधिनियम बन जाता है।
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Really cleared my all doubts regarding
ReplyDeleteBill,lagislative and many things.. thanks a lot for providing such crucial knowledge.. I am obliged to you...
प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए आपका शुक्रिया। हमें यह जानकार खुशी हुई कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया।
DeleteI like this information and this is so osm and simal language more than use full for everyone
ReplyDeleteकमेंट करने के लिए धन्यवाद।
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