आप सभी का आज की इस ब्लॉग पोस्ट में स्वागत है.इस पोस्ट में हम आपको आर्टिकल 15 के बारे में जानकारी देंगे.पिछले काफी समय में भारत में आर्टिकल 15 बहुत ज्यादा चर्चा में रहा है.आखिर आर्टिकल 15 से सम्बंधित विवाद क्या है.इस पोस्ट में आपको सभी चीजो की जानकारी प्राप्त हो जाएगी.
भारत के सविधान में 395 अनुच्छेद है.इसमें से ही एक अनुच्छेद आर्टिकल 15 है.आर्टिकल 15 भारत के सभी नागरिको का एक मौलिक अधिकार प्रदान करता है. संविधान के आर्टिकल 15 के मुताबिक भारत का कोई भी राज्य,संस्था.सरकार के प्रतिनिधि,लोग किसी भी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं कर सकते हैं। आर्टिकल 15 में क्या लिखा है आइए हम आपको नीचे एक-एक करके पॉइंट में बताते है.
Article 15 in Hindi,आर्टिकल 15 क्या है ? What is Article 15 in India ?
भारत के सविधान में 395 अनुच्छेद है.इसमें से ही एक अनुच्छेद आर्टिकल 15 है.आर्टिकल 15 भारत के सभी नागरिको का एक मौलिक अधिकार प्रदान करता है. संविधान के आर्टिकल 15 के मुताबिक भारत का कोई भी राज्य,संस्था.सरकार के प्रतिनिधि,लोग किसी भी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं कर सकते हैं। आर्टिकल 15 में क्या लिखा है आइए हम आपको नीचे एक-एक करके पॉइंट में बताते है.
- किसी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी दुकान, सार्वजनिक भोजनालय, होटल और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों जैसे सिनेमा और थियेटर इत्यादि में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है। इसके अलावा सरकारी या अर्ध-सरकारी कुओं, तालाबों, स्नानघरो, सड़कों और पब्लिक प्लेस के इस्तेमाल से भी किसी को इस आधार पर नहीं रोक सकते हैं।
- भारत के सभी राज्य, किसी नागरिक से केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी भी आधार पर किसी तरह का कोई भेद-भाव नहीं करेगा।
- यह अनुच्छेद इस बात को भी स्पष्ट करता है की केंद्र सरकार किसी भी राज्य को महिलाओं और बच्चों को विशेष सुविधा देने से नहीं रोकेगा। यानि की इसका मतलब है की राज्य अपने राज्य के बच्चो और महिलायों को विशेष सुविधाएँ दे सकते है.
- इसके अलावा आर्टिकल 15 किसी भी राज्य को सामाजिक या शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष प्रावधान बनाने से भी नहीं रोकेगा।
- संविधान के आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 18 तक में देश के सभी नागरिकों को समता यानी समानता का मौलिक अधिकार देने की बात कही गई है।भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मौलिक अधिकार दिये गए हैं।आर्टिकल 15 भी भारत के सभी नागरिको को समानता का अधिकार प्रदान करता है.
आर्टिकल 15 क्यों बनाया गया है,इसमें भारत के नागरिको को क्या अधिकार प्रदान किये गये है ? आर्टिकल 15 से जुड़ा विवाद क्या है ?
Article 15 को बनाने का एक मात्र कारण यह है की भारत के सभी नागरिको को समानता का अधिकार दिया जा सके और जिससे किसी भी नागरिक के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव न हो.इस आर्टिकल के कारण ही भारत में जाति,धर्म,लिंग आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव बहुत कम हो गये.
लेकिन अभी भी भारत में कुछ जगहों पर ऐसा भेदभाव किया जाता है जो उचित नहीं है.भारत में अभी भी कुछ ऐसी कुरीतियाँ व्याप्त है जो धर्म,जाति आदि के नाम पर भेदभाव करते है.ऐसे लोग या संस्था जो ऐसा भेदभाव करते है वो आर्टिकल 15 का विरोध करते है.लेकिन उनकी माँग बिल्कुल जायज नहीं है.
आर्टिकल 15 को खत्म नहीं किया जा सकते क्योकि यह सभी नागरिको को समानता का अधिकार प्रदान करता है.जिसमे सभी नागरिको को एक जैसा माना गया है.यही हमारे सविधान की महानता है.
आयुष्मान खुराना की फिल्म Article 15 में क्या बताया गया है ?
अभी पिछले दिनों आयुष्मान खुराना की फिल्म Article 15 रिलीज की गयी है.इस फिल्म में भी आर्टिकल 15 के मुद्दे को उठाया गया है.फिल्म में यह दिखाया गया है की चाहे भारत में आर्टिकल 15 है जो सभी नागरिको को समानता का अधिकार प्रदान करता है लेकिन अभी भी भारत में बहुत सी ऐसी जगह है यहाँ पर खुलेआम अनुच्छेद 15 का उलघंन किया जाता है.इसी मुद्दे को केन्द्र्भाव में रखकर पूरी फ्लिम की स्टोरी है,हम भी आपसे निवेदन करते है की आप इस फ्लिम को ज़रूर देखे और इस सवेदनशील मुद्दे की हकीकत को जाने.
आज की इस पोस्ट में हमने आपको आर्टिकल 15 की समस्त जानकारी देने की कोशिश की है.हम उम्मीद करते है की यह पोस्ट आपको पसंद आयी होगी.आप इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर करके हमारे ब्लॉग को आगे बढ़ाने में मदद करे.
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