Unicode और Non Unicode Font क्या है, इनमें क्या अंतर होता है?

कंप्यूटर में अलग-अलग भाषायों के लिये हजारों की संख्या में फोंट्स होते है। लेकिन यह सभी फोंट्स दो प्रकार के होते है। कुछ कंप्यूटर फॉन्ट यूनिकोड फॉन्ट होते है जबकि कुछ फोंट्स नॉन-यूनिकोड फॉन्ट होते है। 

उदाहरण के लिये कंप्यूटर में Hindi Typing करने के लिये आमतौर पर Krutidev और Mangal Font का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों प्रकार के फॉन्ट का प्रयोग करके कंप्यूटर सिस्टम में हिन्दी टाइपिंग की जा सकती है। लेकिन यदि हम Krutidev Font की बात करे तो यह एक Non-Unicode Font है जबकि Mangal Font एक Unicode Font है। 

लेकिन इस स्थिति में नये यूजर जो Computer में Hindi Typing सीखना चाहते है, उनको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। वो इस बात में असमंजस में पड़ जाते है कि कंप्यूटर में टाइपिंग करने के लिये  नॉन-यूनिकोड फॉन्ट का इस्तेमाल किया जाये या फिर यूनिकोड फॉन्ट का इस्तेमाल करना बेहतर होगा। 

इस कारण इस पोस्ट में हमारे द्वारा इन सभी सवालों के जबाव देने की पूरी कोशिश की है। इस पोस्ट में "Non Unicode Font और Unicode Font क्या होते है ? Non-Unicode और Unicode Font में क्या अंतर होता है ?" टॉपिक पर पूरी जानकारी विस्तार से दी गयी है।

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नॉन-यूनिकोड फॉन्ट क्या है ? What is a Non-Unicode font?

कंप्यूटर केवल Binary Digits (0,1) को ही समझता है, जिसे बिट्स कहते है। कंप्यूटर में इंग्लिश भाषा के अक्षरों, प्रतिको, चिन्हों को Display और Type, Print किया जा सके इसके लिये सबसे पहले ASCII ( American Standard Code for Information Interchange ) Encoding System का निर्माण किया गया था। ASCII Encoding में किसी भाषा के कैरक्टर को एक विशेष सात-बिट पूर्णांकों में एनकोड किया जाता है। 

ASCII Encoding मूल रूप से  English alphabet पर ही आधारित है। इसमें सबसे पहले इंग्लिश भाषा के 128 कैरक्टर जिसमें अंग्रेजी भाषा के सभी अक्षर, प्रतीक, चिन्ह को सात-बिट पूर्णांकों में एनकोड किया गया था। हर एक अक्षर, प्रतीक, चिन्ह को एक विशेष Binary Digit में एनकोड किया गया था। 

अब चूंकि इंग्लिश भाषा के 128 कैरक्टर को बाइनरि डिजिट में एनकोड कर दिया गया था जिससे कंप्यूटर में ASCII Encoding के द्वारा आसानी से अंग्रेजी भाषा के अक्षरों, प्रतिको, चिन्हों को प्रदर्शित, मुद्रित किया जा सकता है। 

लेकिन अब कंप्यूटर में इंग्लिश में टाइपिंग करना बहुत आसान हो गया था। लेकिन किसी दूसरी भाषा में कम्प्युटर में टाइपिंग कैसे की जाये ? इसके लिये प्रयास होना शुरू हो गए थे। बाद में दूसरी प्रचलित भाषायों में कंप्यूटर टाइपिंग करने के लिये उस भाषा के ऐसे कंप्यूटर फोंट्स का निर्माण किया गया जो ASCII Encoding के अनुसार काम कर सके। इस प्रकार के फोंट्स को Non Unicode Fonts कहा जाता है। 

नॉन-यूनिकोड फॉन्ट भी ASCII Encoding वाले होते है। यह कंप्यूटर फॉन्ट बिट्स मानक वाले होते है। 

नॉन-यूनिकोड फॉन्ट कैसे काम करते है, इसे समझना बहुत जरूरी है। तो आइये सबसे पहले इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते है। 

कंप्यूटर में किसी भाषा के नॉन-यूनिकोड फॉन्ट को इन्स्टाल करने के बाद उस भाषा में टाइपिंग की जा सकती है। 

हमारे कंप्यूटर में इंग्लिश मुख्य भाषा के रूप में सेट होती है और कीबोर्ड के द्वारा इंग्लिश में टाइपिंग करना बहुत आसान होता है। लेकिन यदि हम कंप्यूटर में हिन्दी टाइपिंग करना चाहते है तो उसके लिये हमे कंप्यूटर में Hindi Fonts Install करने होगे। 

अब मान लीजिये कि मैंने कंप्यूटर में Krutidev Hindi Font Install किया है जो एक नॉन-यूनिकोड फॉन्ट है। अब मैं किसी भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर जैसे MS Word में जाकर Krutidev Font को सेलेक्ट करके हिन्दी टाइपिंग कर सकता हूं। अब मुझे MS Word में हिन्दी के अक्षर दिखाई देंगे। 

लेकिन जब मैं इस MS Word Document को किसी दूसरे ऐसे व्यक्ति के साथ ईमेल या और किसी माध्यम से शेयर करूंगा जिसके कंप्यूटर में Krutidev Non-Unicode Font Install नहीं है तो उसके कंप्यूटर में इस एमएस-वर्ड डॉकयुमेंट में हिन्दी अक्षर की जगह इंग्लिश के अक्षर दिखाई देंगे। 

ऐसा क्यों होता है ? तो आइये इसके बारे में जानते है। 

मैंने अपने Computer में Krutidev Hindi Font Install करके हिन्दी टाइपिंग की थी। कृतिदेव एक नॉन-यूनिकोड हिन्दी फॉन्ट है, हम जानते है कि नॉन-यूनिकोड फॉन्ट ASCII Encoding वाले होते है और ASCII Encoding System English alphabet पर आधारित है। 

इस कारण जब हम किसी भी भाषा के नॉन-यूनिकोड फॉन्ट में टाइपिंग करते है तो हमे Computer स्क्रीन पर उस भाषा के अक्षर दिखाई देते है, क्योंकि हमारे कंप्यूटर में उस भाषा का नॉन-यूनिकोड फॉन्ट इन्स्टाल है। 

लेकिन यदि हम अपने Computer में कोई एमएस-वर्ड डॉकयुमेंट या टेक्स्ट फ़ाइल Non-Unicode Font में टाइप करके उसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शेयर कर देते है जिसके कंप्यूटर में उस भाषा का Non-unicode Font install नहीं है तो उसे एमएस-वर्ड डॉकयुमेंट या टेक्स्ट फ़ाइल में उस भाषा के अक्षर की जगह इंग्लिश भाषा के कैरक्टर ही दिखाई देंगे। 

Krutidev और Devlys दोनों ही Non-Unicode प्रकार के Hindi Computer Fonts है। यदि आप अपने कम्प्युटर में Krutidev और Devlys Hindi Font का इस्तेमाल करके कोई MS Word Document या Text File बना रहे है तो ध्यान रखे कि आप इस फ़ाइल को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ ही शेयर करे जिसके कम्प्युटर में कृतिदेव या देवल्यस फॉन्ट इन्स्टाल हो वरना उसे हिन्दी भाषा की जगह इंग्लिश भाषा के अक्षर ही दिखाई देंगे। 

बस Non-Unicode Fonts की यह सबसे बड़ी समस्या है। यही कारण है कि अब हिन्दी टाइपिंग करने के लिये Krutidev और Devlys Non-Unicode Fonts की जगह Unicode Fonts का प्रचलन बढ़ गया है।  

यूनिकोड फॉन्ट क्या है ? What is a Unicode Font ?

नॉन-यूनिकोड फॉन्ट की कमियों को दूर करने के लिये यूनिकोड फॉन्ट का इस्तेमाल किया जाता है। यूनिकोड फॉन्ट एक कंप्यूटर फॉन्ट है जो Unicode Standard पर आधारित है। 

यूनिकोड स्टैंडर्ड एक कैरक्टर कोडिंग प्रणाली है जिसमें यूनिवर्सल कोडेड कैरेक्टर सेट (यूसीएस) होता है।  Universal Coded Character Set (UCS) में अलग-अलग भाषायों के कैरक्टर ( अक्षर, प्रतीक, चिन्ह ) को एक विशेष कोड के रूप में इनकोडेड किया गया है। विभिन्न भाषा के हर एक कैरक्टर को एक विशेष कोड के रूप में इनकोड किया गया है। यूसीएस में वर्तमान में विभिन्न भाषायों के करीब 136,000 से अधिक वर्ण शामिल है। 

वर्तमान में अधिकांश सॉफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम कंपनियों के द्वारा Unicode Standard को स्वीकार किया गया है। विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर मैक और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम में भी यूनिकोड फॉन्ट का इस्तेमाल किया जाता है। Mangal, Kokila आदि Unicode Hindi Fonts है। 

यूनिकोड फॉन्ट कैसे काम करता है ? इसे समझना बहुत जरूरी है। 

मान लीजिये कि मैंने कंप्यूटर में Mangal Hindi Font Install किया है जो एक यूनिकोड फॉन्ट है। अब मैं किसी भी कम्प्युटर सॉफ्टवेयर जैसे MS Word में जाकर Mangal Font को सेलेक्ट करके हिन्दी टाइपिंग कर सकता हूं।

अब हम अपने कम्प्युटर में कोई एमएस-वर्ड डॉकयुमेंट या टेक्स्ट फ़ाइल Mangal Hindi Unicode Font में टाइप करके उसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शेयर कर देते है जिसके कम्प्युटर में Mangal Font Install नहीं है तो भी उसे एमएस-वर्ड डॉकयुमेंट या टेक्स्ट फ़ाइल में हिन्दी भाषा के अक्षर ही दिखाई देंगे। क्योंकि हमने मंगल यूनिकोड फॉन्ट में टाइपिंग की थी।

इस कारण किसी भाषा के यूनिकोड फॉन्ट का इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस फॉन्ट में तैयार की गयी किसी कम्प्युटर फ़ाइल, वर्ड डॉकयुमेंट या पीडीएफ़ को आप यहाँ चाहे शेयर कर सकते है, क्योंकि अधिकांश सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, ऑपरेटिंग सिस्टम यूनिकोड फॉन्ट को Unicode Mapping के द्वारा आसानी से समझ लेते है कि इस फ़ाइल में टाइप किया गया टेक्स्ट किस भाषा का है। 

यूनिकोड फॉन्ट और नॉन-यूनिकोड फॉन्ट में क्या अंतर होता है ? What is the difference Between Non-unicode fonts and Unicode fonts in hindi ?

यूनिकोड फॉन्ट और नॉन-यूनिकोड फॉन्ट में मुख्य अंतर निम्नलिखित है :-

1. यूनिकोड फॉन्ट में तैयार की गयी फ़ाइल को किसी भी कंप्यूटर सिस्टम या सॉफ्टवेयर में ओपन और एडिट किया जा सकता है क्योंकि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर आसानी से यूनिकोड फॉन्ट को Unicode Mapping के द्वारा आसानी से समझ लेते है कि इस फ़ाइल में टाइप किया गया टेक्स्ट किस भाषा का है। 

जबकि नॉनयूनिकोड फॉन्ट में तैयार की गयी फ़ाइल को किसी भी कंप्यूटर सिस्टम या सॉफ्टवेयर में तब तक सही रूप में ओपन और एडिट नहीं किया सकता है जब तक उस नॉनयूनिकोड फॉन्ट को उस कंप्यूटर में इन्स्टाल न कर लिया जाये। 

2. यूनिकोड फॉन्ट Unicode Standard वाले होते है जबकि Non-unicode font बिट्स मानक (Binary Digits) वाले होते है

हिन्दी यूनिकोड फॉन्ट और नॉन-यूनिकोड फॉन्ट के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दु 

कृतिदेव एक नॉन-यूनिकोड हिन्दी फॉन्ट है। कृतिदेव हिन्दी फॉन्ट को Remington Keyboard Layout के द्वारा टाइप किया जा सकता है। 

मंगल एक यूनिकोड हिन्दी फॉन्ट है। वर्तमान में इस फॉन्ट का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। मंगल फॉन्ट के लिये तीन प्रकार के कीबोर्ड लेआउट विकसित किये गए है

  1. Inscript Hindi Keyboard Layout 
  2. Remington GAIL/CBI Keyboard Layout 
कृतिदेव फॉन्ट टेक्स्ट को मंगल फॉन्ट टेक्स्ट में भी बदला जा सकता है। इसके लिए आप इंटरनेट पर Non Unicode To Unicode Converter टाइप करके सर्च करे। 

हमें उम्मीद है कि आज की इस पोस्ट को पढ़कर आप "यूनिकोड फॉन्ट क्या है ? नॉन-यूनिकोड फॉन्ट क्या है ? यूनिकोड और नॉन-यूनिकोड फॉन्ट में क्या अंतर है ?" टॉपिक पर पूरी जानकारी प्राप्त कर चुके होंगे। आपको यह ब्लॉग पोस्ट कैसे लगी, कमेंट में जरूर बताये। 

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