जनहित याचिका क्या है? Public interest litigation in Hindi

कई बार हम अखबार में पढ़ते हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई होगी। लेकिन हम गौर नहीं करते कि आखिर जनहित याचिका क्या होती हैं?। हमारे ऊपर जनहित याचिका के फैसले का सीधा प्रभाव पड़ता हैं, इस कारण एक जागरूक नागरिक के लिए इसके बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम आपको जनहित याचिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी बहुत ही कम शब्दों में लेकिन प्रभावी ढंग से दे रहे हैं, जिससे आपकी इस पर एक बेहतरीन समझ विकसित होगी। जनहित याचिका को हिन्दी में लोकहित वाद भी कहते है और इंग्लिश में इसे Public Interest Litigation कहा जाता हैं।

Janahit Yaachika किसी भी भारतीय नागरिक द्वारा कोर्ट में दायर किया गया एक वाद होता है जो किसी सार्वजनिक मुद्दे पर आधारित होता हैं। तो आइये Public interest litigation in india के बारे में पॉइंट्स के माध्यम से जानते हैं। 

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जनहित याचिका क्या है ? Public Interest Litigation in India in Hindi

जनहित याचिका को शॉर्ट में पीआईएल भी कहा जाता है। जनहित याचिका न्यायिक व्यवस्था में जनता के लिए एक सशक्त माध्यम है। जनहित याचिका के माध्यम से वंचित समूह या व्यक्तियों से जुड़े सार्वजनिक मुद्दों को उठाया जाता है। अगर सरल शब्दों में कहें तो Janahit Yaachika, कानूनी तरीके से सामाजिक परिवर्तन को प्रभावी बनाने या लागू करने का एक असरदार तरीका हैं। 

कोई भी भारतीय नागरिक Public Interest Litigation (जनहित याचिका) दायर कर सकता है, केवल शर्त यह है कि इसे निजी हित के बजाय सार्वजनिक हित के लिए दायर किया जाना चाहिए। यदि कोई ऐसा मुद्दा है जो बहुत ज्यादा सार्वजनिक महत्व का है और आप सोचते है कि इसे कानूनी रूप से सरकार के सामने उठाया जाना चाहिए जिससे इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान जाए और प्रभावी कदम उठाए जाए तो आप कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सकते हैं। 

कई बार कोर्ट भी ऐसे मामले में स्वत: संज्ञान लेता है और ऐसे मामले को संभालने के लिए एक वकील की नियुक्ति करता है। जनहित याचिका के माध्यम से सार्वजनिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जा सकता हैं। 

जनहित याचिका कहाँ दायर की जा सकती है? Public Interest Litigation In India

जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट अथवा हाईकोर्ट में ही दायर किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट अथवा संबंधित हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन भी पीआईएल दाखिल की जा सकती हैं। पीआईएल में वर्णित प्रत्येक प्रतिवाद के लिए 50 रुपए का शुल्क अदा करना पड़ता है।  

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में गलत जनहित याचिका दायर करने के मामलों में कई बार याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया जाता है। इसलिए हमेशा ध्यान से कि, पीआईएल दायर करने से पहले अच्छे तरीके से सोच समझकर और सार्वजनिक मुद्दों से जुड़े विषयों का ख्याल रखे। अगर आप निजी हितों की पूर्ति के जनहित याचिका लगा रहे है तो कोर्ट आप पर जुर्माना लगा सकता हैं। 

आपके द्वारा दायर की गयी Janahit Yaachika को स्वीकार या खारिज करने का अधिकार मुख्य न्यायधीश को होता है। मुख्य न्यायधीश जनहित याचिका का अच्छे तरीके से विश्लेषण करने के बाद इसका निर्णय करता हैं। यदि आकड़ों के लिहाज से देखे तो लगभग 60 फीसदी जनहित याचिकाओं को स्वीकार कर लिया जाता हैं।

पीआईएल (जनहित याचिका) किन मुद्दों पर हो सकती हैं? 

धार्मिक तथा मौलिक अधिकारों का हनन होने पर, निर्धन और कमजोर तबके के लोगों के मानवाधिकारों के हनन पर या किसी भी सरकारी नीति के विरोध में जैसे मुद्धों पर पीआईएल हो सकती है। शर्त केवल यह है कि मुद्दा निजी न हो, विषय ऐसा हो जो सार्वजनिक क्षेत्र का हो। 

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