लेकिन इस पोस्ट में हम आपको निम्न सवालों के जबाव देंगे जैसे -
- उर्दू भाषा क्या है ?
- उर्दू किस भाषा का शब्द है ?
- उर्दू भाषा का विकास कैसे हुया ?
- उर्दू भाषा की उत्पत्ति और इतिहास क्या है ?
- उर्दू भाषा की लिपि कौनसी है ?
तो आइये आज की इस पोस्ट की शुरुवात करते है।
उर्दू भाषा को उत्पत्ति कैसे हुयी ? उर्दू भाषा का इतिहास क्या है ?
उर्दू भाषा हिन्द-यूरोपीय भाषा की एक उपशाखा हिन्द-ईरानी भाषा से संबंधित एक भाषा है। यह हिन्द ईरानी भाषा की एक उपशाखा हिन्द-आर्य भाषा से संबंधित है। इस कारण उर्दू भाषा एक हिन्द आर्य भाषा है।
हिन्द-आर्य भाषा वें भाषाएँ है जिनका निर्माण संस्कृत भाषा से हुया है। जैसे - पंजाबी,उर्दू,हिन्दी आदि।
उर्दू में संस्कृत भाषा के तत्सम शब्द बहुत कम हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं।
लेकिन बहुत से पाठक तत्सम और तद्भव शब्द क्या होते है,इसके बारे में जानकारी नहीं रखते है। इस कारण उनको पहले इसकी जानकारी होनी चाहिए।
तत्सम शब्द की परिभाषा - जिन शब्दों को संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है। जैसे - "अग्नि" शब्द संस्कृत भाषा का एक शब्द है। लेकिन यह शब्द हिन्दी भाषा में प्रचलित है। इससे यह निर्धारित होता है की हिन्दू भाषा में संस्कृत भाषा के तत्सम शब्दों का अधिक प्रयोग किया गया है।
लेकिन उर्दू भाषा में संस्कृत भाषा के तत्सम शब्द बहुत कम देखने को मिलते है।
तद्भव शब्द की परिभाषा - संस्कृत भाषा के कुछ शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो नए शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं। जैसे संस्कृत भाषा का एक शब्द"मुख" है लेकिन मुख से मुँह शब्द की उत्पत्ति हुयी है। और मुँह शब्द हिन्दी भाषा में बहुतायत से प्रचलित है। इसका मतलब हिन्दी भाषा में संस्कृत के तद्भव शब्द अधिक है।
लेकिन उर्दू भाषा में भी अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक मात्रा में प्रचलित हैं।
इस कारण कम शब्दों में कहें तो " उर्दू भाषा एक हिन्द-आर्य भाषा ही है। हिन्द-आर्य भाषा संस्कृत भाषा से ही जन्मी है। यही कारण है की उर्दू भाषा में कम संख्या में संस्कृत के तत्सम और अधिक संख्या में तद्भव शब्द देखने को मिलते है।
उर्दू के एक प्रसिद्ध लेखक मुहम्मद हुसैन आजाद के अनुसार उर्दू भाषा "ब्रजभाषा" से हुयी है। लेकिन गौर करने योग्य बात यह है कि,ब्रजभाषा का जन्म भी संस्कृत भाषा से हुया है।
इसी कारण इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि,उर्दू भाषा भी संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा का एक मिश्रित स्वरूप ही है।
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उर्दू किस भाषा का शब्द है ?
'उर्दू' शब्द मूलतः तुर्की भाषा का है तथा इसका अर्थ है- 'शाही शिविर’ या ‘खेमा’(तम्बू,सैन्य पड़ाव)। तुर्कों के साथ यह शब्द भारत में आया था।
उर्दू भाषा की लिपि क्या है ? उर्दू भाषा किस लिपि में लिखी जाती है ?
लिपि क्या है ? सबसे पहले इसे समझना बहुत जरूरी है। किसी भी भाषा को लिखने का ढंग या किसी भाषा को किस प्रकार से लिखा जाता है उसके लिखने की शैली क्या है ,लिपि कहलाती है।
लिपि किसी भाषा को लिखने का ढंग है। किसी भाषा के अक्षरों को लिखने का तरीका है।
भाषा वो चीज है जो केवल बोली जाती है। भाषा को किसी भी लिपि में लिखा जा सकता है।
उर्दू नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है।
नस्तालीक़ लिपि का जन्म इरान में चौदहवीं-पन्द्रहवीं शताब्दी में हुआ। यह इरान, दक्षिणी एशिया एवं तुर्की के क्षेत्रों में बहुतायत में प्रयोग की जाती रही है। इस लिपि का प्रयोग उर्दू,फारसी,अरबी भाषा लिखने के लिए किया जाता है।
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उर्दू भाषा की उपभाषाएँ
रेख़्ता,दक्खिनी आदि उर्दू भाषा की उप भाषा के रूप में प्रचलित है।
वर्तमान में उर्दू भाषा की स्थिति व महत्व
यदि वर्तमान की बात की जाये तो उर्दू भाषा का बहुत विशेष महत्व है। उर्दू भाषा पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा है। पाकिस्तान में भी करोड़ो की संख्या में लोग उर्दू भाषा से इत्तेफाक रखते है।
भारत में भी उर्दू भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है। लगभग 6 करोड़ से अधिक लोग भारत में उर्दू भाषा बोलते है क्योकि वें उनकी मातृभाषा है।
उर्दू भाषा का साहित्य
क्या उर्दू भाषा में साहित्य की रचना की गयी है ? जी हाँ,उर्दू भाषा के बहुत से प्रसिद्ध लेखक,साहित्यकार है जो उर्दू भाषा में ही साहित्य लिखते थे।
अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो चौदहवीं सदी के बहुत प्रसिद्ध कवि,शायर थे। वे भी उर्दू भाषा में ही साहित्य रचना करते थे। उर्दू साहित्य के इतिहासकार वली औरंगाबादी भी अपने जमाने के बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उर्दू के कवि मीर साहब का नाम भी बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा मुहम्मद हुसैन आजाद एक प्रसिद्ध उर्दू लेखक थे। उनके द्वारा रचित 'अबे हयात' (जीवन-अमृत) बहुत प्रसिद्ध है।
वर्तमान में भी बहुत से नए उर्दू साहित्यकार,लेखक है,जो उर्दू भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने के किए प्रयास कर रहे है।
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