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कृष्ण और शुक्ल पक्ष क्या होता है ? शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में क्या अंतर होता है ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 महीने होते है जो निम्न है - चेत्र,वैसाख,ज्येष्ठ,आषाढ़,श्रावण,भाद्रपद,आश्विन,कार्तिक,मार्गशीष,पौष,माघ,फाल्गुन।
हर महीने के 30 दिनों को 15 - 15 दिनों के हिसाब से 2 पक्षो में बांटा गया है जो क्रमश: कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष होते है।
हिन्दू केलेंडर के महीने की शुरुवात के 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते है। कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन यानि की 15वें दिन को अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या को इंग्लिश में न्यू मून भी कहा जाता है। कृष्ण पक्ष में आने वाले दिन निम्न है -
- कृष्ण एक्म /प्रथम/प्रतिपदा
- कृष्ण द्वितीय/विद्या
- कृष्ण तृतीय/तीज
- कृष्ण चतुर्थी/चौथ
- कृष्ण पंचमी
- कृष्ण षष्ठी
- कृष्ण सप्तमी
- कृष्ण अष्टमी
- कृष्ण नवमी
- कृष्ण दशमी
- कृष्ण एकादशी
- कृष्ण द्वादशी
- कृष्ण त्रयोदशी
- कृष्ण चतुर्दशी
- अमावस्या
जबकि हिन्दू महीने के अंतिम 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते है। शुक्ल पक्ष के 15वें दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा को इंग्लिश में फुल मून भी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष में आने वाले दिन निम्न है -
- शुक्ल एक्म /प्रथम/प्रतिपदा
- शुक्ल द्वितीय/विद्या
- शुक्ल तृतीय/तीज
- शुक्ल चतुर्थी/चौथ
- शुक्ल पंचमी
- शुक्ल षष्ठी
- शुक्ल सप्तमी
- शुक्ल अष्टमी
- शुक्ल नवमी
- शुक्ल' दशमी
- शुक्ल एकादशी
- शुक्ल द्वादशी
- शुक्ल त्रयोदशी
- शुक्ल चतुर्दशी
- पूर्णिमा
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का चंद्रमा के साथ क्या संबंध होता है ?
हिन्दू पंचांग में महीने को जो 2 पक्षों में बांटा गया है वह चंद्रमा की कलाओं के आधार पर ही बांटा गया है।
जब कृष्ण पक्ष एकम की तिथि होती है तो चंद्रमा की रोशनी धीरे धीरे घटना शुरू कर देती है और कृष्ण पक्ष के 15वें अंतिम दिन रोशनी पूरी तरह से घटकर न के बराबर हो जाती है,इस कारण उसे अमावस्या कहा जाता है।
लेकिन अमावस्या के बाद जब शुक्ल पक्ष एकम की तिथि होती है तो उस तिथि से चंद्रमा की रोशनी धीरे - धीरे बढ़ना शुरू कर देती है,और शुक्ल पक्ष के 15वें दिन चंद्रमा की रोशनी सबसे अधिक होती है। उस दिन को पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि,चंद्रमा की रोशनी कम और ज्यादा क्यों होती है ? तो इसका सीधा सा जबाव है,चंद्र ग्रहण के कारण।
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जी हाँ शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का निर्धारण चंद्रमा की कलाओं को ध्यान में रखकर चंद्रग्रहण के आधार पर ही किया गया है।
हिन्दू धर्म में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का क्या विशेष महत्व होता है ?
हिन्दू धर्म में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की तिथियों का बहुत महत्व है। हिन्दू धर्म के व्रत,त्यौहार,शुभ महूर्त आदि शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की विशेष तिथियों को होते है। इस कारण हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इन तिथियों के अनुसार अपने धार्मिक कार्यों को पूर्ण करते है।
हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ काम करने के लिए शुक्ल पक्ष को सबसे उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत भी शुक्ल पक्ष में ही की जाती है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष को किसी भी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माना जाता और इस पक्ष में या इस दौरान कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो शुभ हो जैसे शादी, मुंडन या घर में कोई भी अन्य विशेष अवसर।
तो आज की इस पोस्ट को पढ़कर आपको "शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष" टॉपिक पर पूर्ण जानकारी प्राप्त हो गयी है। लेकिन यदि फिर भी आपका कोई विशेष सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करे। आपके सभी सवालों का जबाव दिया जायेगा।
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