संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक हैं। यह भारतीय उपमहाद्वीप की एक भाषा हैं। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा के रूप में जानी जाती हैं जिससे आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे , हिंदी, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि उत्पन्न हुई हैं। लेकिन पाठकों क्या आपने कभी गौर किया हैं कि संस्कृत शब्द का हिंदी अर्थ क्या होता हैं ? आखिर इस प्राचीन भाषा का नाम संस्कृत क्यों रखा गया हैं।
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आपको इस सवाल का जबाव जानना बहुत जरूरी हैं क्योंकि आज भी हिंदुओं के सांस्कारिक कार्यों में यह भाषा प्रयुक्त होती है। भारत में यह भाषा, अत्यन्त सीमित क्षेत्र में ही बोली जाती हैं आमतौर पर विद्वान पण्डितजन परस्पर वार्तालाप में इसी भाषा का प्रयोग करते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम sanskrt shabd ka hindi arth बताने के साथ ही इस भाषा से जुड़ी रोचक जानकारी भी प्रकाशित कर रहे हैं।
संस्कृत शब्द का हिन्दी अर्थ क्या होता हैं ? [ Sanskrt Shabd Ka Hindi Arth ] Hindi Meaning Of Sanskrit Word
संस्कृत का हिन्दी में अर्थ विभूषित, समलंकृत या संस्कारयुक्त हैं। इसी कारण इसे संस्कारित भाषा के रूप में भी जाना जाता हैं। "संस्कृत" का शाब्दिक अर्थ है संस्कारित अर्थात संस्कार की हुई ,परिमार्जित अथवा सुधारी हुई भाषा।
संस्कृत शब्द में सम का अर्थ भली प्रकार और कृत का अर्थ बनी भाषा हैं। इस प्रकार संस्कृत का अर्थ हुआ भली प्रकार से बनी भाषा। इसके अलावा संस्कृत का अर्थ शुद्ध किया हुआ, संस्कार युक्त, दोष रहित होता हैं।
वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ, वेद संस्कृत भाषा में ही लिखे गये हैं। इस कारण इस भाषा को विश्व की सबसे प्राचीन भाषा और वेदों की भाषा के रूप में जाना जाता हैं।
संस्कृत भाषा का नाम संस्कृत कैसे पड़ा ? [ भारत की प्राचीनतम आर्यभाषा का नाम संस्कृत कैसे पड़ा ? ]
जैसा कि हम आपको बता चुके है, संस्कृत शब्द का हिंदी में अर्थ संस्कारयुक्त या परिमार्जित अथवा सुधारी हुई भाषा हैं। लेकिन संस्कृत का अर्थ संस्कारित क्यों हैं ? आइये इस सवाल के जबाव पर भी नजर डालते हैं।
चूँकि संस्कृत को देवों की भाषा कहा जाता हैं, इस कारण इससे जुड़ी एक भारतीय किंवदंति के अनुसार संस्कृत भाषा पहले अव्याकृत थी अर्थात उसकी प्रकृति एवं प्रत्ययादि का स्पष्ट विवेचन नहीं हुआ था। तब देवों द्वारा प्रार्थना करने पर देवराज इंद्र ने इस भाषा की प्रकृति, प्रत्यय आदि के विश्लेषण विवेचन का उपायात्मक विधान प्रस्तुत किया अर्थात इस भाषा का सुधार किया गया इसे संस्कारित किया गया। इसी "संस्कार" विधान के कारण इस प्राचीनतम आर्यभाषा का नाम संस्कृत पड़ा था।
ऋक्संहिताकालीन "साधुभाषा" तथा 'दशोपनिषद्' नामक ग्रंथों की साहित्यिक "वैदिक भाषा" का विकसित रूप ही लौकिक संस्कृत" या "पाणिनीय संस्कृत" कहलाया। इसी भाषा को "संस्कृत","संस्कृत भाषा" या "साहित्यिक संस्कृत" नामों से जाना जाता है। आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण संस्कृत भाषा का एक अनुपम महाकाव्य हैं।
पाणिनि संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में पाणिनि का योगदान अतुलनीय माना जाता है।
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संस्कृत भाषा की विशेषताएँ
- संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है।
- संस्कृत भाषा को देवों की भाषा कहा गया हैं।
- इस भाषा की सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला हैं।
- हिन्दुओं के सभी पूजा-पाठ और धार्मिक संस्कार की भाषा संस्कृत ही है।
- संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है।
- भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है।
- त्रिभाषा सूत्र नीति में भी संस्कृत को शामिल किया गया हैं।
- इस भाषा को देववाणी अथवा सुरभारती के नाम से भी जाना जाता हैं।
- हिन्दू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ संस्कृत में हैं।
- हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली संस्कृत से निर्मित है।
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