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करौली का यादव राजवंश (karauli ka yadav rajvansh) Yadav dynasty of Karauli
करौली का यादव राजवंश खुद का संबंध उत्तरप्रदेश के मथुरा की शूरसेन शाखा से संबंधित करते हुए श्री कृष्ण से जोड़ते हैं।
करौली में यादव राजवंश की स्थापना विजयपाल ने 1040 ईस्वी में की थी। विजयपाल ने बयाना (भरतपुर) को अपनी राजधानी बनाया था। अर्जुन पाल ने 1348 ईस्वी में कल्याणपुर नगर की स्थापना की थी जिसे वर्तमान में करौली के नाम से जाना जाता है।
1650 ईस्वी में धर्मपाल द्वितीय ने करौली को अपनी राजधानी बनाया था। गोपालपाल ने करौली में मदन मोहन मंदिर का निर्माण करवाया था।
करौली के महाराजा हरबक्षपाल ने 9 नवंबर 1817 ईस्वी में अंग्रेजों से संधि करके अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली थी। 1852 में नरसिंहपाल की मृत्यु के बाद लॉर्ड डलहौजी ने करौली राज्य को कंपनी में विलय करने की सिफारिश बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के पास भेजी थी लेकिन बोर्ड आफ डायरेक्टर्स ने इस सिफारिश को सिरे से नकार दिया था और लगभग डेढ़ वर्ष बाद 1854 में मदनपाल को करौली का शासक नियुक्त किया गया जो लगभग 1869 ईस्वी तक करौली के शासक रहे।
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