जैसलमेर का भाटी राजवंश Rajasthan GK History

अमोजीत हिन्दी ब्लॉग पर आपका स्वागत है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको Rajasthan GK के टॉपिक "जैसलमेर का भाटी राजवंश" के बारे में जानकारी दे रहे है। आइये इस ब्लॉग पोस्ट की शुरुवात करते है। 

जैसलमेर का भाटी राजवंश (jaisalmer ka bhaatee raajavansh) Bhati Dynasty of Jaisalmer

जैसलमेर का भाटी राजवंश स्वयं को चंद्रवंशीय यादवों से संबंधित करता है और अपना संबंध श्री कृष्ण से जोड़ते है। जैसलमेर के भाटी राजवंश का नियमित इतिहास विजयराज नाम के शख्स से मिलना प्रारम्भ होता है। 

विजयराज का पुत्र भोज भाटी था जो गौरियों के विरुद्ध युद्ध में वीर गति को प्राप्त हो गया था। भोज भाटी का उतराधिकारी जैसल था जिसने 1155 ईस्वी में जैसलमेर की नींव रखी थी। 

जैसलमेर का किला ढाई साके के लिए प्रसिद्ध है। पहला साका जैसलमेर के शासक मूलराज के समय हुआ था। उस समय जैसलमेर पर अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर दिया था। 

नोट :- अलाउद्दीन खिलजी का मुख्य समय (शासन काल) 1296 ईस्वी से 1306 ईस्वी के बीच माना जाता है। 

दूसरा साका जैसलमेर के शासक रावल दूदा के समय हुआ था। उस समय फिरोज़शाह तुगलक ने जैसलमेर के किले पर आक्रमण कर दिया था। 

नोट :- फिरोज़शाह तुगलक का मुख्य समय (शासन काल) 1351 ईस्वी से 1388 ईस्वी के बीच माना जाता है। 

तीसरा साका 1550 ईस्वी में जैसलमेर के शासक लूणकरण के समय हुआ। लूणकरण ने अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के शासक अमीर अली को शरण दी थी। अमीर अली ने विश्वासघात करते हुए लूणकरण पर ही आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध में लूणकरण भाटी अपने साथियों के साथ युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुआ लेकिन अंत में भाटियों की विजय हुई और इस कारण महिलाओं ने जौहर नहीं किया। इस कारण यह घटना अर्द्ध साका कहलाती है। 

इस प्रकार जैसलमेर का किला ढाई साके के लिए प्रसिद्ध है। 

अकबर के 1570 के नागौर दरबार में जैसलमेर का शासक हरराय भाटी उपस्थित होकर अकबर की अधीनता स्वीकार कर लेता है और अपनी पुत्री का विवाह अकबर के साथ कर देता है। जैसलमेर का अंतिम भाटी शासक जवाहर सिंह भाटी था।  

नोट :- यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है। इस लेख में कई प्रकार की त्रुटियाँ संभव है। इस लेख को किसी विषय विशेषज्ञ ने प्रमाणित नहीं किया है। 

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