किसी भी भाषा को सीखने के लिए हमें वर्णमाला का
पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। हर भाषा की अपनी एक वर्णमाला होती है, उसी प्रकार हिन्दी भाषा की भी अपनी एक वर्णमाला है। वर्णमाला में वर्णों को
स्वर और व्यंजन में बांटा जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि How Many Swar
in Hindi अथवा How Many Vyanjan in Hindi अर्थात हिंदी भाषा में कितने स्वर और व्यंजन हैं?
इस ब्लॉग पोस्ट में हमारे द्वारा हिन्दी
वर्णमाला के स्वरों व व्यंजनों की जानकारी देने के साथ ही स्वर और व्यंजन क्या
होते है, हिन्दी वर्णमाला में कितने स्वर और व्यंजन है आदि सवालों
के जबाव बहुत ही सरल भाषा में दिये जा रहे है। तो आइये How Many Swar and
Vyanjan in Hindi पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते है।
हिन्दी वर्णमाला जिसे हिन्दी व्याकरण की आत्मा
कहा जाता है, इसमे कुल 44 वर्ण होते है, इसे दो हिस्सों मे विभाजित किया गया है। स्वर को इंग्लिश में Vowel और व्यंजन को इंग्लिश में Consonant भी कहते हैं।
How Many Swar in Hindi [स्वर क्या होते हैं?]
हिन्दी वर्णमाला में स्वरों की कुल सख्या 11 (ग्यारह) मानी गयी है :- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
Question : How Many Swar In Hindi?
Answer : हिन्दी में कुल ग्यारह स्वर होते हैं।
लेकिन स्वर क्या होते हैं और स्वरों को किस प्रकार से विभाजित किया गया है, इसकी जानकारी भी एक हिन्दी भाषा का अध्ययन करने वाले विद्यार्थी को अवश्य होनी चाहिए तो आइये इस संदर्भ में बात करते हैं।
स्वर - वे वर्ण, जिनका स्वतंत्र रुप से उच्चारण किया जा सके अर्थात जो किसी अन्य वर्ण की सहायता के बिना भी सरलता से बोले जा सके, उसे स्वर कहते है। इन ध्वनियों के उच्चारण के समय हवा फेफड़ों से उठकर बिना किसी रुकावट के बाहर निकलती है, अर्थात मुख से उच्चारित ध्वनियों को स्वर कहा जाता है।
हिन्दी भाषा में स्वरों की कुल सख्या 11 मानी गयी है :- अ,आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
1. उच्चारण की अवधि के आधार पर :- इसके आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते है :-
(1) ह्र्सव - इनमे ''अ, इ, उ, ऋ '' ये चार स्वर शामिल है। इन्हे बोलते समय कम वक्त लगता है।
(2) दीर्घ - ''आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ,'' ये सात दीर्घ स्वर कहलाते है, इनको बोलने में ह्र्सव स्वरों की तुलना में दो गुना समय लगता है।
(3) प्लुत - जिन स्वरों को बोलने में तीन गुणा समय लगता है, उन्हे प्लुत स्वर कहते है। प्रत्येक स्वर अपने आप में प्लुत स्वर भी होता है। त्रिमात्रिक स्वर भी इस स्वर का दूसरा नाम है।
2. उच्चारण के आधार पर :- इसके आधार पर स्वर दो प्रकार के होते हैं।
(1) अनुनासिक - जिन स्वरों को बोलते समय मुख के साथ नाक की भी सहायता लेनी पड़ती है, वह अनुनासिक स्वर कहलाते है अर्थात जिसमे हवा मुँह के साथ नाक से बाहर निकलती हो। इन स्वरों को चंद्रबिंदु लगाकर लिखा जाता है। उदाहरण :- आँख, अँधेरा, आदि।
(2) निरनुनासिक - जिन स्वरों के उच्चारण के वक्त हवा केवल मुख से ही बाहर निकलती है वह निरनुनासिक स्वर कहलाते है। उदाहरण :- अपना, इधर ,उधर आदि।
3. होठों की स्थिति के आधार पर :-
(1) वर्तुल (वृत्ताकार) - जिन स्वरों के उच्चारण के समय होठों की स्थिति गोल हो जाती है, उसे वर्तुल स्वर कहते है। उदाहरण :- उ, ऊ, ओ, औ।
(2) अवृताकार - जिन स्वरों का उच्चारण करते समय होठ गोलाकार रुप में न होकर किसी अन्य रुप में रहे। उदाहरण :- अ, आ, ई, इ, ए, ऐ, ऋ।
4. जिह्वा की क्रियाशीलता के आधार पर :-
(1) अग्र स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा के आगे का भाग सक्रिय रहता है, वे अग्र स्वर कहलाते है। उदाहरण :- इ, ई, ए, ऐ, ऋ।
(2) मध्य स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण मे जिह्वा का मध्य भाग सक्रिय रहता है। वे मध्य स्वर कहलाते है। उदाहरण :- अ।
(3) पश्च स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का पिछला भाग सक्रिय रहता है, वह पश्च स्वर होता है। उदाहरण :- आ, ऊ, उ, ओ, औ।
5. मुखाकृत्ति के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण :-
(1) विवृत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में मुख पूर्ण रुप से खुलता हो वे स्वर विवृत स्वर कहलाते है। उदाहरण :- आ।
(2) अर्द्धविवृत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में मुख आधा खुलता हो वे अर्द्ध विवृत स्वर होते है। उदाहरण :- अ, ऐ, औ।
(3) सन्वृत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में मुख कम खुलता है अर्थात प्राय: मुख बंद सा रहता है, वह सन्वृत स्वर कहलाते है। उदाहरण :- ई, इ, उ, ऊ, ऋ।
(4) अर्द्धसन्वृत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण करते समय मुख आधा बंद रहता है। वह अर्द्धसन्वृत स्वर कहलाते है। उदाहरण :- ए, ओ।
How Many Vyanjan in Hindi (हिन्दी में कितने व्यंजन हैं?)
जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके है कि हिन्दी वर्णमाला
में कुल 44 वर्ण होते है और हिन्दी वर्णमाला में स्वरों की कुल सख्या 11(ग्यारह)
मानी गयी है। इसी प्रकार हिन्दी वर्णमाला में व्यंजन की कुल सख्या 33 है। दूसरे शब्दों
में आप कह सकते है कि हिन्दी में कुल 33 व्यंजन होते है।
Question : How Many Vyanjan in Hindi?
Answer : हिन्दी में कुल 33 व्यंजन होते हैं।
तो आइये अब How Many Swar in Hindi प्रश्न का सवाल जबाव जानने के बाद हिन्दी भाषा के व्यंजनों के बारे में भी
विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
How Many Vyanjan in Hindi :- व्यंजन - हिन्दी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिन्हे उच्चारित
करते समय स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है, वे व्यंजन कहलाते
है। दूसरे शब्दों में, व्यंजन उन वर्णो को कहा जाता है जिसमें
वायु फेफड़ो से निकलकर मुख में आती है तो वह रुककर अथवा किसी रुकावट/अवरोध के साथ बाहर
निकलती हैं।
हिन्दी में कुल 33 व्यंजन होते हैं जिन्हें निम्न तीन भागों में बाँट सकते है :-
1. स्पर्श व्यंजन 2. अन्त:स्थ व्यंजन 3.ऊष्म व्यंजन
1.स्पर्श व्यंजन – वे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय (कंठ, तालु , दंत ) आदि के स्पर्श से बोले जाते है, वे स्पर्श व्यंजन कहलाते है। इन्हे उदित और वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है। इनकी संख्या 25 है।
वर्ग व्यंजन
क वर्ग क, ख, ग, घ, ड़ ।
च वर्ग च, छ, ज, झ, न्र।
ट वर्ग ट, ठ, ड, ढ, ण।
त वर्ग त, थ, द, ध, न।
प वर्ग प, फ, ब, भ, म।
2.अन्त:स्थ व्यंजन - अन्त: का अर्थ होता है - भीतर या अंदर। जिन स्वरों का उच्चारण करते समय जीभ, मुँह के किसी भी भाग को स्पर्श नहीं करती अर्थात उच्चारण मुँह के अंदर से होता है, वह अन्त :स्थ व्यंजन कहलाते है। उदाहरण - य, र, ल, व।
3. ऊष्म व्यंजन – जिन व्यंजनो के उच्चारण के समय किसी रगड़ या घर्षण से ऊष्मा उत्पन हो। वे ऊष्म व्यंजन कहलाते है। इनकी संख्या 4 है। उदहारण – श, ष, स, ह।
How Many Swar and Vyanjan in Hindi
इस पोस्ट को पढ़कर आपको हिन्दी में स्वर और व्यंजन के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। तो यदि अब आपसे कोई प्रश्न पूछे कि How Many Swar and Vyanjan in Hindi तो आप आसानी से उत्तर दे सकते है कि, हिन्दी में कुल 11 स्वर और 33 व्यंजन माने गये हैं।
पाठको हम उम्मीद करते है कि हिन्दी में कितने स्वर और व्यंजन होते है? टॉपिक पर आधारित यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए फायदेमंद साबित हुई होगी। यदि इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर आपको वांछित जानकारी प्राप्त हुयी है तो इस ब्लॉग पोस्ट को सोश्ल मीडिया पर शेयर जरूर करे और इसी तरह की ब्लॉग पोस्ट्स को पढ़ने के लिए Amojeet Hindi Blog का फेसबुक पेज लाइक करे।
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