पृथ्वीराज चौहान जन्म,विवाह,इतिहास,युद्ध की पूरी जानकारी - Prithviraj Chauhan Ka Itihas

AMOJEET Hindi Blog पर आप सभी का बहुत स्वागत है। आज की इस पोस्ट में हम आपको "पृथ्वीराज चौहान के जीवन,इतिहास और युद्ध के बारे में पूरी जानकारी" देने वाले है। यदि आप भी पृथ्वीराज चौहान के बारे में इतिहास पढ़ने की इच्छा रखते है तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढे।

पृथ्वीराज चौहान के बारे में इतिहासकारो के अलग -अलग मत है। लेकिन इस पोस्ट में हम पृथ्वीराज चौहान के जीवन का उल्लेख उन सभी ग्रंथो के आधार पर कर रहे है,जिनमे Prithviraj Chauhan के बारे में जानकारी मिलती है।


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Prithviraj Chauhan Ka Itihas - पृथ्वीराज चौहान का जीवन और पृथ्वीराज चौहान का इतिहास और तराइन का युद्ध ( Prithviraj Chauhan History in Hindi )


सबसे पहले हम एनसीईआरटी ( NCERT ) की कक्षा 9 में पृथ्वीराज चौहान से संबंधित जो लिखा है उसका अंश प्रस्तुत कर रहे है। क्योकि एनसीईआरटी पाठ्यक्र्म के आधार पर बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाएँ करवाई जाती है। एनसीईआरटी की सामाजिक की पुस्तक के अनुसार -

"12 वीं शताब्दी के अंतिम चरण में चौहान साम्राज्य उत्तरी भारत में अत्यधिक शक्तिशाली हो गया था। चौहान साम्राज्य का विस्तार कन्नौज से जहाजपुर ( मेवाड़ ) की सीमा तक था । पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर देव की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान ने 11 वर्ष की उम्र में सिंहासन ग्रहण किया था। उनकी माता का नाम कर्पूरी देवी थी जो उनकी एकमात्र संरक्षक थी । साम्राज्य विस्तार की दृष्टि से पृथ्वीराज चौहान ने अपने पड़ोसी राज्यों के प्रति दिग्विजय नीति का अनुसरण किया था। उसने 1182 ईस्वी में महोबा के चंदेल शासक को पराजित किया,इसके बाद पृथ्वीराज चौहान का चालुक्य वंश के राजाओ के साथ संघर्ष हुया था।

सन 1178 में गजनी के शासक मोहम्मद गौरी ने गुजरात पर आक्रमण किया। वहां के शासक भीमदेव चालुक्य ने खासहरड़ के मैदान में गौरी को बुरी तरह पराजित किया था। लेकिन धीरे - धीरे गौरी ने सीमा प्रांत के राज्य सियालकोट और लाहौर पर अपना अधिकार कायम किया था। सन 1186 से 1191 ईस्वी तक मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान से कई बार पराजित हुआ। हमीर महाकाव्य के अनुसार 7 बार,पृथ्वीराज प्रबंध में 8 बार,पृथ्वीराज रासो में 21 बार,प्रबंध चिंतामणि में 23 बार मोहम्मद गौरी के पराजित होने का उल्लेख मिलता है।

पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के मध्य दो प्रसिद्ध युद्ध हुये थे। तराइन के प्रथम युद्ध में 1191 ईस्वी में राजपूतों की सेना के आगे गौरी की सेना टिक नहीं पाई थी,गौरी खुद भी घायल हो गया था और वह और उसके साथी अपनी जान बचाकर युद्धभूमि से  भाग निकले थे। लेकिन Prithviraj Chauhan ने गौरी की भागती हुई सेना का पीछा नहीं किया था । तराइन के प्रथम युद्ध में Prithviraj Chauhan की विजय हुयी थी। लेकिन मोहम्मद गौरी ने सन 1992 में तराइन के मैदान में द्वितीय युद्ध शुरू किया। मोहम्मद गौरी ने संधि वार्ता का बहाना करके पृथ्वीराज चौहान को भुलावे में रखा। और सुबह जब राजपूत शासक अपने नित्य कार्य में व्यस्त थे तब अचानक आक्रमण कर दिया।

गोविंद राय व अनेक राजपूत वीर योद्धा युद्ध भूमि में शहीद हो गए और गौरी ने भागती हुई राजपूत सेना का पीछा किया और उन्हें घेर लिया।  दिल्ली से लेकर अजमेर तक तुर्को का अधिपत्य हो गया था। पृथ्वीराज रासो नामक ग्रंथ में उल्लेख मिलता है कि पृथ्वीराज चौहान को गजनी ले जाया गया और उन्हें नेत्रहीन कर दिया गया वहां पर Prithviraj Chauhan ने अपने शब्दभेदी बाण से गौरी को मार गिराया और उसके बाद खुद को भी समाप्त कर लिया था। लेकिन इतिहासकार इस बात पर एकमत नहीं है।

पृथ्वीराज चौहान वीर साहसी एवं विलक्षण प्रतिभा का धनी था,पृथ्वीराज चौहान का विद्या और साहित्य के प्रति विशेष लगाव था। विद्यापति,बागेश्वर,जनार्दन,चंदबरदाई आदि उसके दरबार में थे। इतिहासकार पृथ्वीराज चौहान में दूरदर्शिता व कूटनीति का अभाव बताते हैं।"

ऊपर आपने जो कुछ पढ़ा है,वह एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान कक्षा 9 पुस्तक का अंश है। अब हम आपको भिन्न - भिन्न प्रकार के ग्रंथो के आधार पर Prithviraj Chauhan के इतिहास के बारे में जानकारी प्रस्तुत कर रहे है।

"पृथ्वीराज चौहान" का जन्म,पृथ्वीराज चौहान का विवाह और राज्य ( Prithviraj Chauhan Life Story )


"पृथ्वीराज चौहान" चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में 12 वीं सदी के अजमेर (अजयमेरु ) और दिल्ली के शासक थे। उनको भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्,सपादलक्षेश्वर,राय पिथौरा इत्यादि नाम से भी जाना जाता है। 

Prithviraj Chauhan भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में भी जाने जाते है। नीचे हम इनके बारे में कुछ जानकारी सारणी के रूप में प्रस्तुत कर रहे है। 

वंश
चौहानवंश
काल
सन् 1178 से 1192
पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम
सोमेश्वर चौहान ( सोमेश्वर देव )
पृथ्वीराज चौहान की माता का नाम
कर्पूरी देवी
पृथ्वीराज चौहान के पुत्र का नाम
गोविन्द 
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु
तिथि निश्चित नहीं 





पृथ्वीराज विजय महाकाव्य  के अनुसार - "पृथ्वीराज चौहान" का जन्म गुजरात राज्य के पाटण पत्तन में हुआ था। तब पाटण पत्तन अण्हिलपाटण के नाम से प्रसिद्ध था। यह उस समय के गुजरात राज्य की राजधानी भी था। 

पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ ( Prithviraj Chauhan Wife ) थी। लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा चर्चित "संयोगिता " नाम की रानी थी। पृथ्वीराज का एक पुत्र था, जिसका नाम गोविन्द था। Prithviraj Chauhan की सभी रानियो के नाम कुछ इस प्रकार है। 

पहली रानी
जम्भावती पडिहारी
दूसरी रानी
पंवारी इच्छनी
तीसरी रानी
दाहिया
चौथी रानी
जालन्धरी
पाँचवी रानी
गूजरी
छवीं रानी
बडगूजरी
सातवीं रानी
यादवी पद्मावती
आठवी रानी
यादवी शशिव्रता
नौवीं रानी
कछवाही
दसवीं रानी
पुडीरनी
ग्यारहवीं रानी
शशिव्रता
बाहरवीं रानी
इन्द्रावती
तेरहवीं रानी
संयोगिता गाहडवाल





पृथ्वीराज विजय महाकाव्य के अनुसार - Prithviraj Chauhan की अनेक रानियाँ थी। लेकिन उनकी निश्चित संख्या के बारे में कोई उल्लेख इस महाकाव्य में नहीं मिलता है। 

पृथ्वीराज विजय महाकाव्य  के अनुसार - Prithviraj Chauhan छ: प्रकार की भाषा जानते थे। इसके अलावा वह मीमांसा, वेदान्त, गणित, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान और चिकित्सा शास्त्र का ज्ञान भी रखते थे। 

पृथ्वीराज रासो काव्य के अनुसार -  पृथ्वीराज चौहान धनुर्विद्या में पारंगत थे। वे शब्दो को सुनकर उसी दिशा में सटीक निशाने (  शब्दभेदी बाण ) तीर को चलाने में भी माहिर थे। 

पृथ्वीराज चौहान की सेना

पृथ्वीराज चौहान की सेना उस समय की सबसे शक्तिशाली सेनायों में से एक थी। सेना में अश्व सेना ( घोड़े पर बैठे सैनिक ) अधिक थे। तराइन युद्ध में पृथ्वीराज की सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे।

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु ( Prithviraj Chauhan Ki Death ) , तराइन का द्वितीय युद्ध 


पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुयी थी,इस बात को लेकर भी इतिहासकारो के बीच मत भेद है। वैसे यह माना जाता है की छल-कपट के द्वारा तराइन का द्वितीय युद्ध जीतने के बाद मोहम्म्द गौरी पृथ्वीराज चौहान को बंधक बनाकर उनको गजनी ले गया था। वहाँ पर उसने पृथ्वीराज चौहान को नेत्रहीन बनाकर इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर किया लेकिन उन्होने इस्लाम धर्म कबूलने से इन्कार कर दिया। 

चूँकि पृथ्वीराज चौहान शब्द-भेदी बाण कला में निपुण थे और किसी तरह उन्होने बाण चलाकर गौरी को मौत के घाट उतार दिया। और फिर खुद भी मर गये थे। पृथ्वीराज रासो काव्य के अनुसार भी इसी घटना का जिक्र मिलता है। 

उस घटना के अनुसार गौरी ने जब पृथ्वीराज चौहान और उसके कवि चंदबरदई को बंधक बना लिया था तो एक दिन उसने इन दोनों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए अपने राज दरबार में पेश करवाया था। इससे पहले ही चंदबरदई और पृथ्वीराज चौहान ने गौरी को मारने का प्रण कर लिया था। 

जब गौरी के दरबार में चंदबरदई ने अपनी काव्यात्मक भाषा में एक पक्तिं कही जो कुछ इस प्रकार थी - 

'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान'

इसे सुनकर गौरी ने कुछ कहा और उसी तरफ पृथ्वीराज चौहान ने बाण छोड़ा था, जिससे गौरी की मौत हो गयी थी। 

Prithviraj Chauhan and Sanyogita Story - पृथ्वीराज चौहान की तेरहवीं रानी संयोगिता की कहानी - 


संयोगिता एक राजकुमारी थी जो की पृथ्वीराज की वीरता से प्रभावित होकर उनसे प्रेम करने लगी थी। लेकिन संयोगिता के पिता कन्नौज के राजा जयचन्द थे। राजा जयचंद Prithviraj Chauhan को पसंद नहीं करते थे। जयचन्द ने संयोगिता का विवाह स्वयंवर माध्यम से करने की घोषणा की थी। जिसमे सभी राजाओ को बुलाया गया था। लेकिन स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान को आमंत्रित नहीं किया था। जब इस बात का पता राजकुमारी संयोगिता को चला तो उन्होने अपने दूत के माध्यम से पृथ्वीराज को यह सूचना पहुंचायी की वह उनसे प्रेम करती है। 

इस बात का पता जैसे ही पृथ्वीराज चौहान को चला तो उन्होने कन्नौज नगर की ओर प्रस्थान करना शुरू कर दिया। विवाह स्वयंवर में पहुँचकर Prithviraj Chauhan ने वहाँ पर मौजूद सभी राजाओ को युद्ध के लिए ललकारा। बाद में उन्होने जयचंद को पराजित करके "संयोगिता" को लेकर इन्द्रपस्थ चले गये। इस घटना को इतिहास में "संयोगिता हरण" के नाम से भी जाना जाता है। 

संयोगिता पृथ्वीराज विजय महाकाव्य में तिलोत्तमा नाम से, पृथ्वीराज रासो काव्य में संयोगिता नाम से, सुरजन चरित महाकाव्य में 'कान्तिमति' नाम वर्णित की गयी है। 

पृथ्वीराज चौहान से संबंधित कुछ प्र्शन - 


पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन,भाले का वजन कितना था ? 

इसके बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी है। लेकिन इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पृथ्वीराज चौहान के कवच,भाला, ढाल और तलवार का वजन मिलाकर 200 किलो से भी अधिक था। 

मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच कितने युद्ध हुये थे ? 

इस प्र्शन का भी बिल्कुल सही जबाव उपलब्ध नहीं है। अलग - अलग काव्यो,ग्रंथो में अलग - अलग संख्या का उल्लेख मिलता है। वैसे इनके बीच तराइन का युद्ध सबसे अधिक चर्चित है। 

Prithviraj Chauhan Movie ( पृथ्वीराज चौहान पर आधारित फिल्म )


"पृथ्वीराज" हिंदी भाषा की एक ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है और आदित्य चोपड़ा ने इसे प्रोड्यूस किया है। इसमे "अक्षय कुमार" मुख्य किरदार में नजर आयेंगे। 

रिलीज की तारीख:
13 नवंबर 2020 (भारत)
निर्देशक:
चंद्रप्रकाश द्विवेदी
अभिनीत:
अक्षय कुमार; मानुषी छिल्लर
निर्माता:
आदित्य चोपड़ा
प्रोडक्शन कंपनी:
यश राज फिल्म्स

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